- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
उ त्तम स्वास्थ्य की आवश्यकता किसे नहीं होती? प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ शरीर, शांत मन और दीर्घ आयु की कामना करता ही है। परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि स्वास्थ्य मात्र आधुनिक चिकित्सा का विषय नहीं, बल्कि यह एक दैविक वरदान भी है? हमारे सनातन धर्म में ऐसे एक दिव्य देवता हैं भगवान श्री धन्वंतरि जी जिनके चरणों से ही आयुर्वेद का प्रादुर्भाव हुआ। पुरातन काल में जब समुद्र मंथन हुआ था, तब अमृत कलश लेकर श्री हरि विष्णु जी ही श्री धन्वन्तरि भगवान् के रूप में प्रकट हुए थे। तभी से मानव जीवन के लिए स्वास्थ्य, औषधि व आयुर्विज्ञान का आधार स्थिर हुआ। आज जब मानव आधुनिक चिकित्सा पर निर्भर होते हुए भी भीतर से असंतुष्ट और रोगग्रस्त है, ऐसे में एक प्रश्न उठता है कि क्या हमें फिर से भगवान धन्वंतरि के सिद्धांतों की ओर, आयुर्वेद की ओर लौटना चाहिये? भगवान धन्वन्तरि ने तीन नाम रूपी मंत्र दिये हैं जिनका उच्चारण करने से सभी रोग सभी उत्पात दूर होते हैं - अच्युत , अनन्त, गोविन्द | धनत्रयोदशी अर्थात् कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को इनकी ही आराधना की जाती है। धन्व...