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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नोट - यहाँ प्रकाशित साधनाओं, स्तोत्रात्मक उपासनाओं को नियमित रूप से करने से यदि किसी सज्जन को कोई विशेष लाभ हुआ हो तो कृपया हमें सूचित करने का कष्ट करें।

⭐विशेष⭐


23 अप्रैल - मंगलवार- श्रीहनुमान जयन्ती
10 मई - श्री परशुराम अवतार जयन्ती
10 मई - अक्षय तृतीया,
⭐10 मई -श्री मातंगी महाविद्या जयन्ती
12 मई - श्री रामानुज जयन्ती , श्री सूरदास जयन्ती, श्री आदि शंकराचार्य जयन्ती
15 मई - श्री बगलामुखी महाविद्या जयन्ती
16 मई - भगवती सीता जी की जयन्ती | श्री जानकी नवमी | श्री सीता नवमी
21 मई-श्री नृसिंह अवतार जयन्ती, श्री नृसिंहचतुर्दशी व्रत,
श्री छिन्नमस्ता महाविद्या जयन्ती, श्री शरभ अवतार जयंती। भगवत्प्रेरणा से यह blog 2013 में इसी दिन वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को बना था।
23 मई - श्री कूर्म अवतार जयन्ती
24 मई -देवर्षि नारद जी की जयन्ती

आज - कालयुक्त नामक विक्रमी संवत्सर(२०८१), सूर्य उत्तरायण, वसन्त ऋतु, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष।
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तारा महाविद्या करती हैं भयंकर विपत्तियों से भक्तों की रक्षा

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भ गवती आद्याशक्ति के दशमहाविद्यात्मक दस स्वरूपों में एक स्वरूप भगवती तारा का है।   क्रोधरात्रि में भगवती तारा का प्रादुर्भाव हुआ था । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महाविद्या तारा की जयन्ती तिथि बतलाई गई है। महाविद्या काली को ही नीलरूपा होने के कारण तारा भी कहा गया है। वचनान्तर से तारा नाम का रहस्य यह भी है कि ये सर्वदा मोक्ष देने वाली, तारने वाली हैं इसलिये इन्हें तारा कहा जाता है-  तारकत्वात् सदा तारा सुख-मोक्ष-प्रदायि नी।  महाविद्याओं के क्रम में ये द्वितीय स्थान पर परिगणित की जाती हैं।  रात्रिदेवी की स्वरूपा शक्ति  भगवती  तारा दसों  महाविद्याओं में  अद्भुत प्रभाववाली और  सिद्धि की अधिष्ठात्री देवी  कही गयी हैं। भगवती तारा के तीन रूप हैं-  तारा, एकजटा और नीलसरस्वती।  श्री तारा महाविद्या के  इन   तीनों रूपों के रहस्य, कार्य-कलाप तथा ध्यान परस्पर भिन्न हैं किन्तु भिन्न होते  हुए भी सबकी शक्ति समान और एक ही है।   1. नीलसरस्वती अनायास ही वाक्शक्ति प्रदान करने में समर्थ हैं, इसलिये इन्हें नीलसरस्वती भी कहते हैं ।  जिन्होंने नीलिमा युक्त रूप में प्रकट होकर विद्वान

श्री रामनवमी विशेष-पापनाशक श्री सीता-राम जी की आराधना दिलाती है मुक्ति

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भ गवान श्रीराम की जयंती तिथि श्रीरामनवमी सारे जगत के लिये सौभाग्य का दिन है; क्योंकि अखिल विश्वपति सच्चिदानन्दघन श्रीभगवान् इसी दिन दुर्दान्त रावण के अत्याचार से पीड़ित पृथ्वी को सुखी करने और सनातन धर्म की मर्यादा को स्थापित करने के लिये श्रीरामचन्द्रजी के रूपमें प्रकट हुए थे। श्री राम सबके हैं, सबमें हैं, सबके साथ सदा संयुक्त हैं और सर्वमय हैं। जो कोई भी जीव उनकी आदर्श मर्यादा-लीला-उनके पुण्यचरित्र का श्रद्धापूर्वक गान, श्रवण और अनुकरण करता है, वह पवित्रहृदय होकर परम सुख को प्राप्त कर सकता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ' श्रीरामनवमी ' का व्रत होता है।