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मई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नोट - यहाँ प्रकाशित साधनाओं, स्तोत्रात्मक उपासनाओं को नियमित रूप से करने से यदि किसी सज्जन को कोई विशेष लाभ हुआ हो तो कृपया हमें सूचित करने का कष्ट करें।

⭐विशेष⭐


९ अप्रैल - "कालयुक्त" नामक हिंदू नवसंवत्सर २०८१ मंगलमय हो!

९ अप्रैल - चैत्र या वासन्तीय नवरात्रों का प्रारम्भ,
कलश स्थापना विधि, कलशस्थापन का मुहूर्त इस लिंक पर जाकर शहर का नाम डालकर देख लें।
वासंतीय नवरात्र-प्रथम दिन शैलपुत्री जी का पूजन
१० अप्रैल - नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी जी का आराधन
११ अप्रैल - श्री मत्स्य-अवतार जयन्ती
११ अप्रैल -नवरात्रि के तृतीय दिवस चन्द्रघंटा माँ की आराधना

१२ अप्रैल -नवरात्रि का चतुर्थ दिन - कूष्माण्डा जी का पूजन
१३ अप्रैल -नवरात्र के पंचम दिन स्कन्दमाता जी का पूजन
१४ अप्रैल -नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी माँ की पूजा
१५ अप्रैल -नवरात्र के सप्तम दिन कालरात्रि पूजन महासप्तमी
१६ अप्रैल -नवरात्रि में अष्टमी को महागौरी जी की आराधना, अन्नपूर्णा माँ की पूजा
१७ अप्रैल -नवरात्र के नवम दिन सिद्धिदात्री जी की आराधना
भगवान श्री राम जयंती, श्रीराम नवमी, नवमी हवन विधि।
तारा महाविद्या जयंती
⭐वासन्ती नवरात्रपारणा: पारण अर्थात् प्रसाद व अन्न ग्रहण करके व्रत खोलना..जो नवरात्रि में केवल आठ दिन ही व्रत लेते हैं वे तो अष्टमी रात्रि को ही पारण कर ले और जो पूरे नौ दिन उपवास रख सकते हैं वे नवमी (१७ अप्रैल) की रात्रि को व्रत खोलें...
कलश आदि का विसर्जन दशमी तिथि की प्रातः (१८ अप्रैल को) करना चाहिए


आज - कालयुक्त नामक विक्रमी संवत्सर(२०८१), सूर्य उत्तरायण, वसन्त ऋतु, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष।
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भक्ति का सही अर्थ समझाने में समर्थ धर्म-प्रचारक व भगवान के मन देवर्षि नारद [श्रीनारद स्तोत्रम्]

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न मस्कार, आज है भक्त शिरोमणि देवर्षि नारद जी की जयंती।  कौन नहीं जानता निरंतर " नारायण नारायण " का जप करते रहने वाले मुनि नारद जी को? नारद जी की नारायण भक्ति तो श्रेष्ठातिश्रेष्ठ है। पिछली पोस्ट में कूर्म जी के विषय में चर्चा की थी आइये आज नारद जी के विषय में चर्चा करते हैं। देवर्षि का पद प्राप्त है नारद जी को। पुराणों में वर्णित अनेक कथाओं में नारद जी का भी वर्णन आता है। नारद पुराण पढ़ा होगा आपने अथवा नहीं पढ़ा हो तो जरूर कभी पढ़कर देखिएगा नारद पुराण में हिन्दी-संस्कृत व्याकरण के विभिन्न पक्षों को रखा गया है। गणित का ज्ञान, ज्योतिष, मंत्र, औषधि, व्रतोत्सव आदि का ज्ञान आपको कूट-कूट कर इसमें भरा हुआ मिलेगा; और मिलेगा भी क्यों नहीं नारद जी कई गूढ़ बातों को जानने वाले प्रकांड विद्वान जो ठहरे। ब्रह्मा जी के मानस पुत्र नारद जी

श्री कूर्म अवतार श्रीहरि नारायण के प्रादुर्भाव की कथा

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ज यन्ती तिथियों का हमारे हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रहा है। श्री नृसिंह जी, छिन्नमस्ता जी और शरभ जी की प्रादुर्भाव तिथि के अगले दिन होती है श्री कूर्म अवतार जयंती। कूर्म को कच्छप या कछुआ भी कहा जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा को समुद्र के अंदर सायंकाल में विष्णु भगवान ने कूर्म [कछुए] का  अवतार लिया था। पूर्वकाल में अमृत प्रात करने हेतु देवताओं ने दैत्यों और दानवों के साथ मिलकर मन्दराचल पर्वत को मथानी बनाकर क्षीरसागर का मंथन किया था। उस मंथनकाल में इन्हीं  कूर्मरूपधारी जनार्दन विष्णु जी ने देवताओं के कल्याण की कामना से मन्दराचल को अपनी पीठ पर धारण किया था। भगवान कूर्म

'श्री नृसिंह-छिन्नमस्ता-शरभ जयंती' से 'हमारा हिन्दू धर्म व इससे जुड़ी मान्यताएँ' ब्लॉग का शुभारंभ

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मि त्रों नमस्कार, सर्वप्रथम तो "श्रीनृसिंह- छिन्नमस्ता -शरभ जयंती" की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। भगवत्कृपा से प्रेरणा हुई कि एक धार्मिक ब्लॉग की शुरुआत करूँ सो आज श्रीनृसिंह-छिन्नमस्ता-शरभ जयंती के शुभ अवसर से शुरुआत कर रहा हूँ " हमारा हिन्दू धर्म व इससे जुड़ी मान्यताएँ " की।  साथ ही फेसबुक पर भी एक पेज भी बनाया जो इसी ब्लॉग के नाम से ही है-  हमारा हिन्दू धर्म व इससे जुड़ी मान्यताएँ   कृपया फेसबुक पर भी हमसे जुड़ें और ट्विटर व इंस्टाग्राम   पर भी जुड़ें । भगवान नृसिंह वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को भगवान नृसिंह जी ने अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की हिरण्यकशिपु से रक्षा की थी इस माध्यम से भगवान विष्णु जी ने हम सभी को संदेश दिया कि बुराई का अंत होकर ही रहता है... भक्त प्रह्लाद से हिरण्यकशिपु नामक उस दानव ने हर वस्तु को इंगित कर पूछा था " क्या यहाँ हैं? तेरे विष्णु क्या वहाँ हैं ? " गरम खंभे से बंधे प्रह्लाद कहते, " हाँ हर जगह हैं, नारायण तो कण-कण में बसते हैं " तो वह उसी वस्तु को छिन्न-भिन्न कर विष्णु जी को वहाँ न पा अट्टहास करता हु