संदेश

अक्तूबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नोट - यहाँ प्रकाशित साधनाओं, स्तोत्रात्मक उपासनाओं को नियमित रूप से करने से यदि किसी सज्जन को कोई विशेष लाभ हुआ हो तो कृपया हमें सूचित करने का कष्ट करें।

⭐विशेष⭐


23 अप्रैल - मंगलवार- श्रीहनुमान जयन्ती
10 मई - श्री परशुराम अवतार जयन्ती
10 मई - अक्षय तृतीया,
⭐10 मई -श्री मातंगी महाविद्या जयन्ती
12 मई - श्री रामानुज जयन्ती , श्री सूरदास जयन्ती, श्री आदि शंकराचार्य जयन्ती
15 मई - श्री बगलामुखी महाविद्या जयन्ती
16 मई - भगवती सीता जी की जयन्ती | श्री जानकी नवमी | श्री सीता नवमी
21 मई-श्री नृसिंह अवतार जयन्ती, श्री नृसिंहचतुर्दशी व्रत,
श्री छिन्नमस्ता महाविद्या जयन्ती, श्री शरभ अवतार जयंती। भगवत्प्रेरणा से यह blog 2013 में इसी दिन वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को बना था।
23 मई - श्री कूर्म अवतार जयन्ती
24 मई -देवर्षि नारद जी की जयन्ती

आज - कालयुक्त नामक विक्रमी संवत्सर(२०८१), सूर्य उत्तरायण, वसन्त ऋतु, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष।
यहाँ आप सनातन धर्म से संबंधित किस विषय की जानकारी पढ़ना चाहेंगे? ourhindudharm@gmail.com पर ईमेल भेजकर हमें बतला सकते हैं अथवा यहाँ टिप्पणी करें हम उत्तर देंगे
↓नीचे जायें↓

श्री मातंगी महाविद्या की स्तोत्रात्मक उपासना

चित्र
भ गवती मातंगी की दस महाविद्याओं में नवें स्थान पर परिगणना की जाती है।  अक्षय तृतीया अर्थात् वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मातंगी महाविद्या की प्रादुर्भाव तिथि कही गयी है ।   नवरात्रि के अवसर पर भी मातंगी भगवती की उपासना की जाती है।  श्यामला, राजश्यामला, राजमातंगी, मातंगिनी, इन्हीं के नाम हैं। ये ही श्री ललिताम्बिका की मन्त्रिणी नामक शक्ति हैं। श्रीविद्या की उपासना में इनका भी मंत्र ग्रहण किया जाता है। अतएव श्रीविद्या उपासक भी इनकी आराधना करके पूर्णता पाते हैं।  भगवती मातंगी आराधक के सारे विघ्न, उपद्रव, बाधाएं नष्ट कर देती हैं ।  भगवती मातंगी अपने भक्त को सुन्दर आकर्षक वाणी,  विद्या तथा प्रचुर धन प्रदान करती हैं, देवी की कृपा से दुर्योग भी सुयोग में बदल जाता है। देवी मातंगी का आराधक सहज ही मोक्ष भी पा जाता है। देवी मातंगी को सुगन्धित पुष्प और खीर अर्पित करें।  मेरु तंत्र के अनुसार महाविद्या मातङ्गी की प्रीति के लिये प्रत्येक मंगलवार को उनका पूजन करना चाहिये; तत्पश्चात्‌ एक, तीन, पाँच अथवा सात कुमारियों को स्वादिष्ट भक्ष्यभोज्य एवं मनोहारी पेय पदार्थ प्रदान कर उन