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अगस्त, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नोट - यहाँ प्रकाशित साधनाओं, स्तोत्रात्मक उपासनाओं को नियमित रूप से करने से यदि किसी सज्जन को कोई विशेष लाभ हुआ हो तो कृपया हमें सूचित करने का कष्ट करें।

⭐विशेष⭐


23 अप्रैल - मंगलवार- श्रीहनुमान जयन्ती
10 मई - श्री परशुराम अवतार जयन्ती
10 मई - अक्षय तृतीया,
⭐10 मई -श्री मातंगी महाविद्या जयन्ती
12 मई - श्री रामानुज जयन्ती , श्री सूरदास जयन्ती, श्री आदि शंकराचार्य जयन्ती
15 मई - श्री बगलामुखी महाविद्या जयन्ती
16 मई - भगवती सीता जी की जयन्ती | श्री जानकी नवमी | श्री सीता नवमी
21 मई-श्री नृसिंह अवतार जयन्ती, श्री नृसिंहचतुर्दशी व्रत,
श्री छिन्नमस्ता महाविद्या जयन्ती, श्री शरभ अवतार जयंती। भगवत्प्रेरणा से यह blog 2013 में इसी दिन वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को बना था।
23 मई - श्री कूर्म अवतार जयन्ती
24 मई -देवर्षि नारद जी की जयन्ती

आज - कालयुक्त नामक विक्रमी संवत्सर(२०८१), सूर्य उत्तरायण, वसन्त ऋतु, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष।
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दशाफल व्रत एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्व [मधुराष्टकम्]

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म हापुण्यप्रद पंच महाव्रतों में से एक है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत । अर्धरात्रिकालीन अष्टमी में रोहिणी नक्षत्र व बुधवार से बना श्री कृष्ण जयंती का योग   महापुण्यप्रद  हो जाता है; साथ ही हर्षण योग, वृषभ लग्न और उच्च राशि का चंद्रमा, सिंह राशि का सूर्य हो तो ऐसे दुर्लभ योग में ही प्रभु श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ था । इस दिन अर्धरात्रि में आद्याकाली जयंती भी होती है। अष्टमी को यदि बुधवार आ जाय तो बुधाष्टमी का शुभप्रद व्रत भी सम्पन्न हो जाता है, जो कि सूर्यग्रहण के तुल्य होता है।  मोहरात्रि व गोकुलाष्टमी इस दिन के ही दूसरे नाम हैं। इस दिन दशाफलव्रत  किया जाता है तथा मार्गशीर्ष से शुरू किया गया कालाष्टमी व्रत  हर महीने के कृष्ण पक्ष की तरह इस दिन भी किया जाता है। कौन नहीं जानता भगवान श्रीकृष्ण को? भागवत में वर्णित भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं को एक बार भी सुनकर-पढ़कर भला उन राधामाधव को कौन भूल सकता है? वही ये लीलाविहारी श्रीकृष्ण हैं जिन्होंने बचपन में ही खेल-खेल में नृत्य करते हुए सात फन वाले भयानक  कालिय नाग का मर्दन  कर डाला था। गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठा उंगली

गायत्री वेदमाता की महिमा (कवच, 108 नाम स्तोत्र)

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श्रा वण शुक्ल पूर्णिमा के दिन  रक्षाबंधन, संस्कृत दिवस, लव-कुश जयंती    के साथ-साथ "भगवती गायत्री जयंती" मनाई जाती है। वेदमाता कहलाने वाली ये भगवती माँ अपने गायक/जपकर्ता का पतन से त्राण कर देती हैं; इसीलिए वो 'गायत्री' कहलाती हैं। जो गायत्री का जप करके शुद्ध हो गया है, वही धर्म-कर्म के लिये योग्य कहलाता है और दान, जप, होम व पूजा सभी कर्मों के लिये वही शुद्ध पात्र है। पंचमुखी देवी गायत्री श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन श्रावणी उपाकर्म किया जाता है जिसके अंतर्गत  प्रायश्चित संकल्प करके दशविध स्नान के बाद  फिर शुद्ध स्नान कर नवीन यज्ञोपवीत का मंत्रों से संस्कार करके उस यज्ञोपवीत का पूजन कर उसे धारण किया जाता है फिर  पुराने यज्ञोपवीत का त्याग कर दिया जाता है । फिर गायत्री पूजन करें।  तत्पश्चात् यथाशक्ति गायत्री मंत्र जपा जाता है।  इसके बाद सप्तर्षि पूजन करके हवन करके  ऋषि तर्पण, पितृ तर्पण करते हैं।  चूंकि इस दिन गायत्री जयंती है अतः सच्चे मन से वेदजननी माँ गायत्री से संबन्धित स्तोत्रों का पाठ करना, गायत्री मंत्र से हवन, मन ही मन गायत्री मंत्र स्मरण वेदमाता की विशेष कृप

तीन लघु कथाएँ - 'विश्वास', 'दरिद्र कौन?' और ''अतिथि के लिए उत्सर्ग"

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प्रेरक कथा-१ ====== ॥  विश्वास    ॥ ====== ए क आदमी था जो एक नदी के किनारे एक छोटे से घर में रहता था वह बहुत ही धार्मिक प्रवृति का आदमी था, उसे भगवान पर बहुत विश्वास था! एक दिन उस नदी में बाढ़ आ गयी वह आदमी घर समेत बह गया काफी दूर बहने के बाद उसने बचने का प्रयास किया! वह सीधे घर की छत पर चढ़ गया तो देखा पानी काफी भर चुका है! तभी दूर से एक काफी बड़ी नाव में कुछ लोग आये और कहने लगे कि उनके साथ नाव में आ जाये पर वो आदमी कहने लगा कि नहीं मुझे बचाने तो भगवान आयेंगे! ऐसा सुनकर वो नाव वाले वहां से चले गए! पानी का स्तर बढ़ ही रहा था उस आदमी का घर पूरा डूबने वाला था तभी एक और नाव वाला वहां से आया और उसे कहा कि उसके साथ चल पड़े पर वो आदमी कहने लगा कोई बात नहीं तुम जाओ मुझे बचाने तो भगवान आयेंगे! तब वो नाव वाला भी वहां से चला गया! अब उस आदमी का पूरा घर डूबने वाला था तभी उसे सामने एक पेड़ नजर आया उसने पेड़ को पकड़ लिया थोड़ी देर बाद पानी का स्तर और बढ़ गया वह आदमी पेड़ पर बैठ कर भगवान को याद कर रहा था!

श्रावण पूर्णिमा - रक्षा बंधन, संस्कृत दिवस एवं लव कुश जयंती - एक पावन दिवस

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श्रा वण शुक्ल पूर्णिमा के दिन स्नेह के प्रतीकात्मक त्योहार रक्षाबंधन को मनाया जाता है। आप सभी को रक्षाबंधन की बहुत - बहुत शुभकामनायें। रक्षाबंधन के साथ-साथ आज  संस्कृत दिवस, लव-कुश जयंती और "भगवती गायत्री जयंती" भी है।   ॥गायत्री देव्यै नमः॥  यूं तो श्रावण पूर्णिमा पर ही भगवती गायत्री जी की जयंती कही गयी है, पर गंगा दशहरा के दिन भी इनकी जयंती बतलाई गई है। वेदमाता को  बारंबार नमन । रक्षाबंधन के विषय में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि प्राचीन काल में जब देवासुर-संग्राम में देवता दानवों से पराजित हो गए थे; तब वे दुःखी होकर दैत्यराज बलि के साथ गुरु शुक्राचार्य के पास गए और उनको सब कुछ कह सुनाया। इस पर शुक्राचार्य बोले," विषाद न करो दैत्यराज! इस समय देवराज इन्द्र के साथ वर्षभर के लिए तुम संधि कर लो, क्योंकि इन्द्र-पत्नी शची ने इन्द्र को रक्षा-सूत्र बांधकर अजेय बना दिया है। उसी के प्रभाव से दानवेंद्र! तुम इन्द्र से परास्त हुए हो। " गुरु शुक्राचार्य के वचन सुनकर सभी दानव निश्चिंत होकर वर्ष बीतने की प्रतीक्षा करने लगे। यह रक्षाबंधन का ही विलक्षण प्रभाव है,

नाग पंचमी का महत्व

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     चा तुर्मास   के अंतर्गत आने वाले श्रावण मास जो नागेश्वर भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, के  शुक्ल पक्ष की पंचमी अर्थात् नाग पंचमी  का क्या महत्व है ,  आइये यह जानते हैं। यूं तो प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष वाली पंचमी का अधिष्ठाता नागों को बतलाया गया है । पर श्रावण शुक्ला पंचमी एक विशेष महत्व रखती है।   शायद ही कोई हो जो नाग/सर्प से अपरिचित होगा। लगभग हर जगह देखने को मिल जाते हैं ये सर्प।  नाग हमेशा से ही एक रहस्य में लिपटे हुए रहे हैं इनके विषय में फैली अनेक किंवदंतियों के कारण। जैसे नाग इच्छाधारी होते हैं, मणि धारण करते हैं, मौत का बदला लेते हैं आदि-आदि। पर जो भी हो, सर्प छेड़ने या परेशान करने पर ही काटते हैं। आप अपने रास्ते जाइए साँप अपने रास्ते चला जाएगा। हाँ कभी मार्ग भटककर अचानक इनका घर में आ जाना डर का कारण हो सकता है पर   ऐसे में या किसी भी परिस्थिति में इन साँपों को मारना नहीं चाहिए । कोशिश यही करनी चाहिए कि इनको एक सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया जाये ।   सर्प विष से विविध प्रकार की महत्वपूर्ण औषधियों का निर्माण किया जाता है , विशेष रूप से होम्योपैथी की दवाइयो