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श्री तैलंगस्वामी जी एक महान सिद्धयोगी थे जो २८० वर्ष तक जीवित रहे। दिव्य गुणों एवं रहस्यों से युक्त श्री तैलंगस्वामी जी का जीवन वृत्तान्त यहाँ प्रस्तुत है। हमारी सनातन परंपरा में धर्मपालन, कर्मकाण्ड, साधना एवं सदाचरण को जीवन में सफलता पाने की कुंजी माना गया है। आज के इस भागदौड़ से भरे समय में यह अनुभव करना आवश्यक हो जाता है कि साधनाओं द्वारा प्राप्त सिद्धि एक मात्र आध्यात्मिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि जीवन को समृद्ध, संयमित एवं सशक्त बनाने का माध्यम भी है। तैलंगस्वामी जी का व्यक्तित्व यही साक्ष्य प्रस्तुत करता है। वे संयमित आचरण द्वारा साधना के मार्ग पर अग्रसर हुए, और उन्होंने अपने ज्ञानबल व तप से न केवल स्वयं को सिद्ध किया, बल्कि अनेक जनों को कल्याण-मार्ग दिखाया। इस प्रकार उनका जीवन इस संदेश का प्रवाहक बन गया है - धर्म-कर्म तथा साधनाओं द्वारा हम अपनी अंतःशक्ति को जाग्रत कर सकते हैं, और स्वयं को, अपने परिवार को एवं समाज को सफल एवं सार्थक जीवन की ओर ले जा सकते हैं। बहुत वर्ष पूर्व आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के होलिया गाँव में एक उदार व प्रजावत्सल जमी...