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कमला महाविद्या की स्तोत्रात्मक उपासना

भ गवती  कमला  दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर आती है। यही श्री हरि की प्रिया महालक्ष्मी हैं। कमला महाविद्या को जगत्प्रसूता कहा गया है। जगत्प्रसूता अर्थात् संसार को उत्पन्न करने वाली। दुर्गासप्तशती के रहस्य में भी कहा गया है कि सृष्टि के आदि में भगवती महालक्ष्मी ही थीं उन्हीं से समस्त देवी देवता तथा संसार उत्पन्न हुआ।दीपावली पर हर सनातनी सुंदर प्रकार से माँ लक्ष्मी की पूजा कर के मनोवांछित फल पाता है। वैकुण्ठ-वासिनी देवी 'कमला' हैं। वे ही पाताल-वासिनी होकर 'लक्ष्मी' रूपा सुन्दरी हो जाती हैं।भगवती कमला की कृपा से धन धान्य की कमी नहीं रहती, रोग मुक्ति, कष्टों का अंत, पापों का क्षय व जीवनोपरान्त मोक्ष प्राप्त होता है।


भगवान धन्वन्तरि की स्तोत्रात्मक उपासना

उ त्तम स्वास्थ्य की आवश्यकता किसे नहीं होती?  प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ शरीर, शांत मन और दीर्घ आयु की कामना करता ही है। परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि स्वास्थ्य मात्र आधुनिक चिकित्सा का विषय नहीं, बल्कि यह एक दैविक वरदान भी है?  हमारे सनातन धर्म में ऐसे एक दिव्य देवता हैं  भगवान श्री धन्वंतरि  जी जिनके चरणों से ही आयुर्वेद का प्रादुर्भाव हुआ। पुरातन काल में जब समुद्र मंथन हुआ था, तब अमृत कलश लेकर श्री हरि विष्णु जी ही श्री धन्वन्तरि भगवान् के रूप में प्रकट हुए थे।  तभी से मानव जीवन के लिए स्वास्थ्य, औषधि व आयुर्विज्ञान का आधार स्थिर हुआ। आज जब मानव आधुनिक चिकित्सा पर निर्भर होते हुए भी भीतर से असंतुष्ट और रोगग्रस्त है, ऐसे में एक प्रश्न उठता है कि  क्या हमें फिर से भगवान धन्वंतरि के सिद्धांतों की ओर, आयुर्वेद की ओर लौटना चाहिये? भगवान  धन्वन्तरि ने तीन नाम रूपी मंत्र दिये हैं जिनका उच्चारण करने से सभी रोग सभी उत्पात दूर होते हैं - अच्युत   , अनन्त, गोविन्द | धनत्रयोदशी अर्थात् कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को इनकी ही आराधना की जाती है।  धन्व...


श्री हनुमान जी की स्तोत्रात्मक उपासना

भ गवान श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की हनुमान चालीसा जगप्रसिद्ध ही है।हनुमान जी को प्रसन्न करके अभीष्ट फल पाने की लिए हनुमान चालीसा के अलावा भी कई स्तोत्र हमारे धर्म ग्रंथों में दिये गए हैं।  अन्य देवगण तो लीला करके अपने अपने धाम को लौट जाते हैं परंतु हनुमान जी ही ऐसे देव हैं जो अब भी धरती पर विराजमान हैं और साधना से प्रसन्न होकर यदा कदा किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष दर्शन भी दिया करते हैं। हाँ यह अवश्य है कि सभी को प्रत्यक्ष दर्शन मिलना अत्यन्त दुर्लभ है लेकिन हनुमदुपासक के अनायास ही कार्य सिद्ध हो जाया करते हैं।हनुमान जी की दया से भूत-प्रेत बाधा, शत्रु द्वारा किये हुए अभिचार प्रयोग, टोना-टोटका, ग्रह बाधा,  संकट,  रोग बाधा का तुरंत निवारण होता है , पुत्र पौत्र सम्पत्ति, सिद्धि की प्राप्ति, निरोगता की प्राप्ति तथा श्री राम जी के चरणों अर्थात मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। कब करें हनुमदुपासना? कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी   और  चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी की जयन्ती मनाई जाती है। कार्तिक कृष्ण १४ की अर्धरात्रि को हनुमान जी की व...


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