- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
भ गवान महाकाल की अभिन्न शक्ति हैं महाकाली। उपासकों के कल्याण के लिये भगवती पार्वती के दो रूप हो गये लालिमा लिया हुआ रूप भगवती त्रिपुर सुंदरी का है, और कृष्ण वर्ण का रूप भगवती काली का है। सभी देवियों में एकत्व है। देवी के सभी रूपों में अभेद रहता है। पूजा - अर्चना करने से व मंत्र जाप द्वारा मां काली की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। मंत्र द्वारा भगवती काली की उपासना करने के लिये मंत्र दीक्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन सामान्य आराधकों को, अदीक्षितों को स्तोत्रों का ही पाठ करना चाहिये। यूं तो भगवती महाकाली को प्रसन्नता देने वाले बहुत से स्तोत्र हैं, परन्तु श्री काली सहस्रनाम स्तोत्र का महत्व इन सबमें श्रेष्ठ है। दीक्षित साधक भी पूर्णता हेतु अपनी साधना में सहस्रनाम स्तोत्र पढ़ते ही हैं। सहस्रनाम या शतनाम स्तोत्राें के माध्यम से सरलता पूर्वक साधना हो जाती है। इसमें नाम रूपी मंत्रों का जप तो चलता ही है; साथ ही एक ही देव के विभिन्न नामों को पढ़ते—पढ़ते मन में उन नामों का अर्थ चिंतन होने से उस देवता के स्वरूप गुण के विषय में कई भाव प्रकट होते हैं, देवता के बारे में कई विशिष्ट बातें ...