- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
माँ भुवनेश्वरी की आराधना हेतु सर्वोत्तम दिवस है भुवनेश्वरी महाविद्या की जयंती तिथि । दस महाविद्याओं में से पंचम महाविद्या भगवती भुवनेश्वरी का भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रादुर्भाव हुआ माना जाता है। भुवनेश्वरी महाविद्या का स्वरूप सौम्य है और इनकी अंगकान्ति अरुण है। भक्तों को अभय और समस्त सिद्धियाँ प्रदान करना इनका स्वाभाविक गुण है। वास्तव में मूल प्रकृति का ही दूसरा नाम भुवनेश्वरी है। दशमहाविद्याएँ ही दस सोपान हैं । काली तत्व से निर्गत होकर कमला तत्व तक की दस स्थितियाँ हैं , जिनसे अव्यक्त भुवनेश्वरी व्यक्त होकर ब्रह्माण्ड का रूप धारण कर सकती हैं तथा प्रलय में कमला से अर्थात् व्यक्त जगत से क्रमशः लय होकर कालीरूप में मूलप्रकृति बन जाती हैं । इसीलिये भगवती भुवनेश्वरी को काल की जन्मदात्री भी कहा जाता है ।