नोट - यहाँ प्रकाशित साधनाओं, स्तोत्रात्मक उपासनाओं को नियमित रूप से करने से यदि किसी सज्जन को कोई विशेष लाभ हुआ हो तो कृपया हमें सूचित करने का कष्ट करें।
⭐विशेष⭐
⭐10 मई - श्री परशुराम अवतार जयन्ती
⭐10 मई - अक्षय तृतीया,
⭐10 मई -श्री मातंगी महाविद्या जयन्ती
12 मई - श्री रामानुज जयन्ती , श्री सूरदास जयन्ती, श्री आदि शंकराचार्य जयन्ती
⭐ 15 मई - श्री बगलामुखी महाविद्या जयन्ती
⭐16 मई - भगवती सीता जी की जयन्ती | श्री जानकी नवमी | श्री सीता नवमी
⭐21 मई-श्री नृसिंह अवतार जयन्ती, श्री नृसिंहचतुर्दशी व्रत,
श्री छिन्नमस्ता महाविद्या जयन्ती, श्री शरभ अवतार जयंती। भगवत्प्रेरणा से यह blog 2013 में इसी दिन वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को बना था।
⭐ 23 मई - श्री कूर्म अवतार जयन्ती
⭐24 मई -देवर्षि नारद जी की जयन्ती ⭐६ जून - श्री शनि जयन्ती (ज्येष्ठ अमावास्या) पर शनि देव के निमित्त पूजन, स्तोत्र पाठ मंत्र जप, हवन-दान करें
⭐७ जून से १६ जून तक - ज्येष्ठ शु. दशमी को गंगा दशहरा।ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से दस दिन तक गंगा जी की उपासना करें - प्रतिपदा को एक बारपाठ, द्वितीया को दो बार पाठ ऐसे करके नित्य एक-एक पाठ की वृद्धि करते हुए क्रम से इन दस दिनों में "गंगा दशहरा स्तोत्र" पढ़े।
⭐१४ जून - श्री धूमावती महाविद्या जयन्ती, श्री धूमावती महाविद्या की शतार्चन उपासना विधि
⭐१७ जून : वेदमाता गायत्री जयन्ती(ज्येष्ठ शुक्ल11)
आज - कालयुक्त नामक विक्रमी संवत्सर(२०८१), सूर्य उत्तरायण, वसन्त ऋतु, वैशाख मास, कृष्ण पक्ष।
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छिन्नमस्ता महाविद्या हैं वज्र वैरोचनीया व शिवभाव-प्रदा
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महाविद्याओं में इनका तीसरा स्थान है। इनके प्रादुर्भाव की कथा इस प्रकार है- एक बार भगवती भवानी अपनी सहचरी जया और विजया के साथ मन्दाकिनी में स्नान करने के लिये गयीं। स्नानोपरान्त कामाग्नि से पीड़ित होकर वे कृष्णवर्ण की हो गयीं। उस समय क्षुधार्त भी हो जाने उनकी सहचरियों ने देवी से कुछ भोजन करने के लिये माँगा। देवी ने उनको कुछ समय प्रतीक्षा करने के लिये कहा। थोडी देर प्रतीक्षा करने के बाद सहचरियों ने जब पुन: भोजन के लिये निवेदन किया, तब देवी ने उनसे कुछ देर और प्रतीक्षा करने के लिये कहा। इस पर सहचरियों ने देवी से विनम्र स्वर में कहा कि "माता तो अपने शिशुओं को भूख लगने पर अविलम्ब भक्ष्य-भोज्य प्रदान करती है क्योंकि वह दयामयी होती है, आप हमारी उपेक्षा क्यों कर रही हैं?"
रजरप्पा - छिन्नमस्ता शक्तिपीठ |
चिन्तपूर्णी शक्तिपीठ - हिमाचल |
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कृपया टिप्पणी करने के बाद कुछ समय प्रतीक्षा करें प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है। अंतर्जाल (इन्टरनेट) पर उपलब्ध संस्कृत में लिखी गयी अधिकतर सामग्री शुद्ध नहीं मिलती क्योंकि लिखने में उचित ध्यान नहीं दिया जाता यदि दिया जाता हो तो भी टाइपिंग में त्रुटि या फोंट्स की कमी रह ही जाती है। संस्कृत में गलत पाठ होने से अर्थ भी विपरीत हो जाता है। अतः पूरा प्रयास किया गया है कि पोस्ट सहित संस्कृत में दिये गए स्तोत्रादि शुद्ध रूप में लिखे जायें ताकि इनके पाठ से लाभ हो। इसके लिए बार-बार पढ़कर, पूरा समय देकर स्तोत्रादि की माननीय पुस्तकों द्वारा पूर्णतः शुद्ध रूप में लिखा गया है; यदि फिर भी कोई त्रुटि मिले तो सुधार हेतु टिप्पणी के माध्यम से अवश्य अवगत कराएं। इस पर आपकी प्रतिक्रिया व सुझाव अपेक्षित हैं, पर ऐसी टिप्पणियों को ही प्रकाशित किया जा सकेगा जो शालीन हों व अभद्र न हों।
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महोदय जी आप से एक बात और पूछना है। कि माँ का मैंने फोटो देखा है तो माता किसी के उपर खड़ी है तो वें कौन है
जवाब देंहटाएंजी... हमारे सनातन ग्रन्थों में वर्णित ध्यान के आधार पर ही चित्र बनाए जाते हैं...
हटाएंछिन्नमस्ता महाविद्या के जो ध्यान मन्त्र प्राप्त होते हैं उनके अनुसार 'आलिंगन करते रति व काम' के ऊपर खड़ी हुई हैं मां छिन्नमस्तिका जो कि काम पर विजय प्राप्ति का प्रतीक है...और जैसा कि हम जानते हैं माँ ने मस्तक को भी शरीर से अलग कर दिया है अर्थात चित्तवृत्ति निरोध होने से काम अब बाधा नहीं डाल सकता और ब्रह्मचर्य है तो योग मार्ग प्रशस्त होगा ही...छिन्नमस्तिका महाविद्या की कृपा से ही योगशक्तियाँ प्राप्त होती है.. गूढ़ रहस्य यह है कि कुंडलिनी योग के अनुसार मणिपुर(नाभि) चक्र के नीचे की नाड़ियो में ही काम और रति का निवास स्थान है तथा मणिपुर पर देवी छिन्नमस्ता आरूढ़ हैं तथा इससे ऊपर की ओर कुंडलिनी शक्ति का प्रवाह होने पर ही रुद्रग्रंथि का भेदन होता है जिससे योग द्वारा आध्यात्मिक उन्नति होने का मार्ग प्रशस्त होता है...टिप्पणी के लिए धन्यवाद...
माँ छिन्नमस्ता महाविद्या हम सबका कल्याण करें..
जय माँ छिन्नमस्तिका
ॐ श्रीं ह्लीं ह्लीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्लीं ह्लीं फट स्वाहा। कृपया बताएं कि ये मंत्र सही है या गलत । माँ के कई मन्त्र बताये गये है । उपरोक्त मन्त्र के बारे में बताएं ।
जवाब देंहटाएंश्रीमान् यह मन्त्र गलत है क्योंकि "ह्लीं" बीज बगलामुखी जी के मन्त्रों में प्रयुक्त होता है...
हटाएंइससे मिलता जुलता जो छिन्नमस्तिका मन्त्र "मंत्र महार्णव" ग्रंथ में दिया गया है वो यह है :
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं ऐं वज्रवैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।
टिप्पणी में अपनी सीमा होती है...इस मन्त्र के विनियोग न्यास आदि भी हैं... उनको जानना हो अथवा हिन्दू धर्म से जुड़ी कोई भी जानकारी चाहिए तो हमारे ईमेल पते Ourhindudharm@outlook.in पर ईमेल भेज सकते हैं वहां उत्तर दे दिया जाएगा...
इस सप्तदशाक्षर (सत्रह अक्षरों वाले) मन्त्र के अलावा अन्य छिन्नमस्तिका जी के मन्त्रों का भी वर्णन तन्त्र ग्रंथों में मिलता है.. जय माँ छिन्नमस्तिका...
यहाँ ह्ली नही "ह्रीं" होता है फिर भी बिना योग्य गुरु के कोई अर्थ नहीं है
जवाब देंहटाएंजी हाँ योग्य गुरु के मार्गदर्शन में मंत्र जाप करना ही उत्तम है.. अब जैसे बगलामुखी जी के बीज मन्त्र को ही ले लीजिये "नये साधक" ह्रीं, ह्लीं या ह्ल्रीं बीज में भ्रमित हो जाते है... योग्य गुरु बता सकता है कि परम्परा के अनुसार कहाँ पर ह्रीं होगा और ह्लीं या ह्ल्रीं कौन सा बीजमन्त्र ग्रहण करना उचित है ..
हटाएंआदरणीय,
जवाब देंहटाएंमाँ छिन्नमस्ता गायत्री मंत्र का शुद्ध उच्चारण ज्ञान कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है।
यदि यह संभव न हो सके, तो कृपया शुद्ध मंत्र
ही उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
महोदय मन्त्र का शुद्ध उच्चारण तो योग्य गुरु ही प्रत्यक्ष रूप में बतला सकता है... बीज मन्त्र उच्चारण में कठिन लग सकते हैं परंतु गायत्री मन्त्र उच्चारण करने में सरल होता है... प्रत्येक मन्त्र का एक निश्चित छन्द होता है...छन्द अर्थात् एक विशेष लय... कुछ लोगों ने छन्दों को यूट्यूब में भी गाकर बतलाया है वहाँ सर्च कर सकते हैं..
हटाएंमाता छिन्नमस्ता का गायत्री मन्त्र "मन्त्र महार्णव" नामक ग्रंथ में प्राप्त होता है... यह मन्त्र न्यास सहित ऊपर लिख दिया गया है..
जय माँ छिन्नमस्तिका
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंआपके मार्गदर्शन हेतु हृदय से आभार...
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंमंत्र को लेकर एक भ्रम उत्पन्न हुआ है, वजह है गूगल में मंत्र को अलग-अलग तरीके से लिखा जाना....यथा;
ॐ वैरोचन्यै च विद्महे
छिन्नमस्तायै धीमहि
तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
इस मंत्र में वैरोचन्यै शब्द के पश्चात च आएगा, अथवा नहीं.....
यद्यपि आपने इस मंत्र को ऊपर उल्लेखित किया है...जिसमें च शब्द नहीं जुड़ा है.....
टंकण की त्रुटिवश अगर कहीं कोई अनजाने में चूक हो गई हो, तो कहीं अर्थ का अनर्थ न हो जाए..... लिहाज़ा पुनः मार्गदर्शन करने का अनुरोध है....विश्वास है, आप मेरी मूढ़ता को नजरअंदाज कर मेरी शंका का समाधान करेंगे...
कष्ट हेतु क्षमा सहित....
सादर,
हटाएंनमस्कार महोदय... टंकण त्रुटि नहीं है.. आपके अनुरोध पर मैने इस मन्त्र के बारे में मेरे पास उपलब्ध ग्रंथों पुनः देखा... लेकिन शुद्ध उच्चारण वही है जो ऊपर हमने लिखा है... एक पुस्तक मन्त्रकोश में तो साफ साफ लिखा है कि उस मन्त्र में च लिखना अशुद्ध है अर्थात् च अक्षर इस मन्त्र में नहीं आएगा... असल में पुरश्चर्यार्णव नाम के ग्रंथ में यह मन्त्र संस्कृत गद्य में लिखा है मैं आपको उसका हिन्दी अर्थ बताता हूं
"पहले वैरोचन्यै विद्महे कहो च(और) छिन्नमस्तायै कहो च(और फिर) धीमहि तन्नो देवी पद बोलो उसके बाद प्रचोदयात् जोड़ना चाहिए".....
अर्थात् केवल मन्त्र बताने के लिये च अक्षर दो जगह दिया है उसी से यह भ्रम हुआ होगा कि च भी है परंतु इस मन्त्र में च नहीं आएगा..
निश्चिंत रहें इस ब्लाग के माध्यम से हमारा प्रामाणिक जानकारी देने का ही प्रयास रहेगा...
अच्छा लगा कि आप सतर्क हैं कि मन्त्र जप में कोई त्रुटि न हो... आपकी उपासना सफल हो शुभकामनाएं... 🙏 जय माँ छिन्नमस्ता...
आपकी सहृदयता के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
जवाब देंहटाएंमाँ छिन्नमस्ता सभी सनातनधर्मियों को तृप्त करें, इस मंगलकामना के साथ,
पुनः आभार,
सादर
आदरणीय,
जवाब देंहटाएंआपने मेरे अनुरोध पर माँ छिन्नमस्ता काली गायत्री का शुद्ध मंत्र उपलब्ध कराकर विस्तृत जानकारी प्रदान की थी...आज पुनः एक मार्गदर्शन की अपेक्षा कर रहा हूँ.....
विषय है, माँ काली गायत्री मंत्र।
कालिकायै च विद्महे,
स्मशानवासिन्यै धीमहि,
तन्नो अघोरा प्रचोदयात् ।।
- मंत्र, बिना ॐ के शुरू है।
- कालिकायै शब्द के पश्चात च शब्द है।
- कई जगह पर मंत्र में तन्नो शब्द के बाद घोरा व कहीं अघोरा शब्द मिलता है....क्या सही है ?
गूगल में लंबे अर्से तक सर्च करने के बाद संतुष्ट होने की जगह भ्रमित हो गया हूँ।
एक बार पुनः मार्गदर्शन के अनुरोध
के साथ,
सादर
महोदय, आपके प्रश्न करने पर मैने मन्त्र शास्त्र की माननीय पुस्तकों में देखा उनके अनुसार आपके जवाब देने का प्रयास करता हूँ:
हटाएं1. महोदय काली गायत्री में ॐ अवश्य लगेगा क्योंकि प्रत्येक मन्त्र में लगाने से उस मन्त्र का प्रभाव बढ़ जाता है...
लेकिन ॐ के विषय में शास्त्रों में कहा जाता है कि महिलाओं और जनेऊ न पहनने वालों को इसका उच्चारण करना नहीं चाहिए क्योंकि ॐ में अपार तेज है जिसे जनेऊ द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है... कुछ विद्वान कहते हैं कि महिला यदि ॐ का लम्बे समय तक उच्चारण करती हैं तो gyno(गर्भाशय) सम्बन्धी समस्या होने से गर्भ धारण करने में समस्या आ सकती है..
इसीलिए ॐ का प्रयोग जिनका उपनयन(जनेऊ) संस्कार हो गया है वे कर सकते हैं... परंतु जिनका उपनयन नहीं हुआ वे ॐ न लगाएं ऐसा शास्त्र कहते हैं...
2. च अक्षर यहाँ भी नहीं आएगा
3. वास्तव में ग्रंथ में शुद्ध रूप "तन्नोऽघोरा" लिखा हुआ है तन्नो शब्द के बाद ऽ चिह्न आया है फिर घोरा लिखा गया है... ये "ऽ" प्लुत स्वर का चिह्न है अर्थात् तन्नो की ओ की मात्रा को थोडा लम्बा खींचना होगा...
परंतु कुछ लोगों ने ऽ की जगह अ लिख दिया है तो अ बोलना व्याकरण के अनुसार गलत उच्चारण हो जाएगा...वैसे कुछ जगह पर तन्नोघोरा भी लिखा हुआ है तो यह भी शुद्ध ही है... इसलिए जब तन्नोऽघोरा बोलते हो तो घोरा व अघोरा दोनो का उच्चारण हो जाता है.. परन्तु अ नहीं आएगा...
यह तन्नोऽघोरा शब्द माँ के घोरा/अघोरा दो रूप बतला रहा है... माँ काली का स्वरूप अपने भक्तों के लिए अघोर है अघोर अर्थात् जो भयानक न हो, लेकिन भक्त के शत्रु व दुष्ट जनों के लिए घोर(भय देने वाला) है...
अतः काली गायत्री का शुद्ध मन्त्र इस प्रकार रहेगा :
ॐ कालिकायै विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि,
तन्नोऽघोरा प्रचोदयात् ।।
(तन्नो घोरा भी बोल सकते हैं)
जय महाकाली 🙏
आदरणीय,
हटाएंमार्गदर्शन हेतु हृदय से आभारी हूँ।
सच कहूँ, तो यह सौभाग्य की बात है, कि आज आप जैसे उदार व ज्ञानी गुरु अभी भी मौजूद हैं....
और दुर्भाग्य यह है, कि अत्यंत दुर्लभ हैं....
यह माँ काली की अनुकंपा है, कि
उन्होंने मुझे ज्ञान के लिए आपसे भेंट करा दी।
अत्यंत सरल व शास्त्र-सम्मत तरीके से मंत्र ज्ञान हेतु पुनः आभार....
सादर,
बिना गुरु ज्ञान संभव नहीं। आजकल इंटरनेट पर महाविद्या पर बहुत कुछ मिल जाता है पर भ्रम निवारण हेतु समर्पण के साथ योग्य मार्गदर्शन आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंअनिल श्रीवास्तव, SAY 2 U Media group, Delhi
सत्य कहा आपने... योग्य गुरु के सान्निध्य में ही साधना करना उचित है...जय माँ छिन्नमस्ता...
हटाएं‘श्रीं ह्नीं ऎं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा’ ye mantra sahi he mahoday
जवाब देंहटाएंजी यह गलत है.. ऐसा कोई मन्त्र नहीं है...
हटाएंजय माँ छिन्नमस्ता
ऊँ ह्रीं श्रीं ऊँ ह्रीं क्लीं ऐं हूं फट् छिन्नमस्तायै स्वाहा।। महामाई के इस मंत्र पर प्रकाश डालिए।।
जवाब देंहटाएंइसका रहस्य कुछ विस्तृत व हर किसी से न कहने योग्य है कृपया ईमेल के माध्यम से संपर्क करें। जय मां छिन्नमस्ता
हटाएंHimanshu ji, जवाब देने के लिए आपका आभार। कृपा करके आप अपना email id दीजिए। मेरा email id: siddharth.pt.asr@gmail.com है।
हटाएंमाँ छिन्नमस्ता के गायत्री मन्त्र जप का कितना जप व लाभ व सही विधि से अवगत कराये , शत्रु से परेशान एक गृहस्थ व सामान्य पूजा पाठ करने वाले व्यक्ति के लिये शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिये और विकास के आप छिन्नमस्ता माँ के किस मन्त्र जप की सलाह देगे व विधि सहित बताने की कृपा करे बड़ी कृपा होगी 🙏
जवाब देंहटाएं